Solar System in hindi
Saur Mandal GK |
सौरमंडल
सौरमंडल किसे कहते है ?
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न गृह ,उपग्रह ,क्षुद्रगृह, धूमकेतु, उल्कापिंड आदि के सम्मिलित समूह को सौर मंडल कहते है | सौर मंडल का समस्त उर्जा का स्रोत सूर्य है |सूर्य (Sun)
- सूर्य सौरमंडल का प्रधान है | यह हमारी मंदाकनी में दुग्धमेखला केंद्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है |
- यह दुग्धमेखला मंदाकनी के केंद्र के चारों ओर 250 किमी/से. की गति से परिक्रमा कर रहा है | इसका परिक्रमण काल (दुग्धमेखला के केद्र के चारों ओर एक बार घूमने में लगा समय 25 करोड़ (250 मिलियन) वर्ष है | जिसे ब्रम्हांड वर्ष (Cosmos year) कहते है |
- सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है | इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक घूर्णन करता है |
- सूर्य एक गैसीय गोला है, जिसमे हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होता है | सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड (core) कहलाता है |
- सूर्य के सतह का तापमान 15 मिलयन डिग्री सेल्सियस है |
- सूर्य के केंद्र का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस है |
- सूर्य के धब्बा (सौर्य कलंक) का तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस है |
- सूर्य के दीप्तिमान सतह को प्रकाशमंडल कहते है | प्रकाशमंडल (Photosphere) के किनारे प्रकाशमान नहीं होता है क्यों कि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है | इसे वर्णमंडल (Chromosphere) कहते है | यह लाल रंग का होता है |
- सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देने वाले भाग को सूर्य - किरीट (Corona) कहते है | सूर्य - किरीट से X-ray किरन उत्सर्जित होता है | इसे सूर्य का मुकुट भी कहा जाता है | पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य - किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है | यह प्रकाश एक गोल रिंग की तरह दिखाई देता है | इस घटना को डायमंड रिंग या हीरक वलय के नाम से भी जाना जाता है |
- सूर्य ग्रहण का अधिकतम समय 8 मिनट का होता है |
- सूर्य का प्रकाश प्रथ्वी तक पहुचने में 8 मिनट 16 सेकंड का समय लगता है |
- सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है |
- सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर अरोरा बोरियालिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिश के नाम से जाना जाता है |
- सूर्य के धब्बे का तापमान आसपास के तापमान से 1500 डिग्री सेल्सियस कम होता है | सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है; पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढता है और बाद में 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है | जब सूर्य की सतह पर यह धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय प्रथ्वी पर चुम्बकीय झंझावात (Magnetic Storms ) उत्पन्न होते है | इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियों, टेलीवीजन,बिजली,चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है |
- सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 92 हजार किमी है , जो प्रथ्वी के व्यास के व्यास का लगभग 110 गुना है |
- सूर्य हमारी प्रथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और प्रथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है |
गृह :
गृह वे खगोलीय पिंड है जो निम्न शर्तों को पूरा करते है
- जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो |
- उसमे पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बाल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके |
- उसके आस - पास का क्षेत्र साफ हो यानि उसके आस - पास एनी खगोलीय पिंडो की भीड़ - भाड़ न हो |
- ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई. एन.यू. की प्राग सम्मेलन (अगस्त - 2006 ई.) में तय की गई है |
- गृह की इस परिभाषा के आधार पर यम (Pluto) को गृह की श्रेणी से निकाल दिया गया है |
- फलस्वरूप ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गई है |
- यम को बौने गृह की श्रेणी में रखा गया है |
ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है -
- पार्थिव या आन्तरिक गृह : आन्तरिक गृह के अंतर्गत - बुध, शुक्र , प्रथ्वी एवं मंगल को पार्थिव गृह कहा जाता है, क्यों की ये प्रथ्वी के सद्र्श होते है |
- ब्रहस्पति या बाह गृह : ब्रहस्पति, शनि, अरुण व वरूण को ब्रहस्पति गृह कहा जाता है |
- मंगल, बुध, ब्रहस्पति, शुक्र एवं शनि, इन पांच ग्रहों को नंगी आँखों से देखा जा सकता है |
आकार के अनुसार ग्रहों का घटता क्रम (घटते क्रम में) :
ब्रहस्पति ,शनि अरुण प्रथ्वी,शुक्र,मंगल एवं बुद्ध अर्थात सबसे बड़ा गृह ब्रहस्पति एवं सबसे छोटा गृह बुध है |
घनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :
शनि, अरुण, ब्रहस्पति,नेपच्यून,मंगल एवं शुक्र |
सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम :
बुध, शुक्र, प्रथ्वी, मंगल,ब्रहस्पति,शनि,अरुण,(युरेनस)एवं वरूण (नेपच्यून) यानी सूर्य के सबसे निकट का गृह बुध एवं सबसे दूर स्थित वरूण गृह है |
द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :
बुध, मंगल, शुक्र, प्रथ्वी,अरूण,वरूण,शनि एवं ब्रहस्पति यानी न्यूनतम द्रव्यमान वाला गृह बुध एवं अधिकतम द्रव्यमान वाला गृह ब्रहस्पति है |
परिक्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में ) :
बुध, शुक्र,प्रथ्वी,मंगल,ब्रहस्पति,शनि,अरूण एवं वरूण
परिभ्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :
ब्रहस्पति,शनि,वरूण,अरूण,प्रथ्वी,मंगल,बुध एवं शुक्र |
अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में ) :
शुक्र,ब्रहस्पति,बुध,प्रथ्वी,मंगल,शनि,वरूण एवं अरूण |
- शुक्र एवं अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है | शुक्र एवं अरुण के घूर्णन की दिशा पूर्व से पश्चिम है , जबकि अन्य सभी ग्रहों के घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व है |
बुध (Mercury) :
- यह सूर्य का सबसे नजदीक गृह है, जो सूर्य निकलने के 2 घंटे पहले दिखाई देता है |
- यह सबसे छोटा गृह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है |
- इसका सबसे विशिष्ट गुण है - इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना |
- यह सूर्य के नजदीक होने के कारण सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरा कर लेता है |
- यहाँ दिन अति गर्म व रातें बर्फीली होती है | इसका तापान्तर सभी ग्रहों से सबसे अधिक 600 डिग्री सेल्सियस है | इसका रात में तापमान 173 डिग्री सेल्सियस व दिन का तापमान 427 डिग्री सेल्सियस हो जाता है |
शुक्र (Venus) :
- यह प्रथ्वी का निकटतम, सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म गृह है |
- इसे सांझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है, क्योंकि यह शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब की दिशा में आकाश में दिखाई पड़ता है |
- यह अन्य ग्रहों के विपरीत चक्रण करता है
- इसके प्रथ्वी का भगिनी गृह कहते है |
- यह घनत्व,आकार एवं व्यास में प्रथ्वी के समान है |
- इसके पास कोई उपग्रह नहीं है
प्रथ्वी (Earth) :
- इसे नीला ग्रह कहते है।
- अपने अक्ष पर 23 डिग्री 30 अंश झुका हुआ है।
- अपने आधार तल पर 66 डिग्री का कोण बनाता है।
- पृथ्वी के झुकाव और परिक्रमण के कारण ऋतु परिवर्तन होता है।
- पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 घंटे 56 मिनट में एक चक्कर लगाती है।
- पृथ्वी 365 दिन में 6 घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है जिसके कारण 1 वर्श होता है।
- इसका एक मात्र उपग्रह - चन्द्रमा है।
- सूर्य के बाद प्रथ्वी के सबसे निकट का तारा प्राक्सीमा सेंचुरी है, जो अल्फ़ा सेंचुरी समूह का एक तारा है | यह प्रथ्वी से 4.22 प्रकाशवर्ष दूर है |
- आकर एवं बनावट की द्रष्टि से प्रथ्वी गृह शुक्र गृह के सामान है |
- इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी. और ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी. है |
- यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1,610 किमी प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में एक पूरा चक्कर लगाती है | प्रथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते है | इस गति से दिन - रात होते है |
मंगल (Mars) :
- इसके लाल गृह (Red Planet) कहा जाता है, इसका रंग लाल आयरन आक्साइड के कारण है |
- यहाँ प्रथ्वी के सामान दो ध्रुव है तथा इसका कक्षातली 25 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है ; जिसके कारण यहाँ प्रथ्वी के समान ऋतू परिवर्तन होता है |
- इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव प्रथ्वी के सामान है |
- यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है |
- इसके दो उपग्रह है - फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos) |
- सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते है |
- सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया (Nix Olympia) जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है, इसी गृह पर स्थित है |
नोट - मार्स ओडेसी नामक कृतिम उपग्रह से मंगल पर बर्फ छ्त्रकों और हिमशीतित जल की उपस्थिति की सुचना मिली है | इसलिए प्रथ्वी के अलावा यह एकमात्र गृह है जिस पर जीवन की संभावना व्यक्त की जाती है | 6 अगस्त, 2012 ई. को NASA का मार्स क्युरियोसिटी रोवर नामक अंतरिक्षयान मंगल गृह पर गेल क्रेटर नामक स्थान में पहुंचा | यह मंगल पर जीवन की संभवना तथा उसके वातावरण का अध्ययन कर रहा है |
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने अपना पहला मंगलयान (Mars Orbit Mission - MOM ) 5 नवम्बर, 2013 को श्री हरिकोटा (आन्ध्रप्रदेश) से ध्रुवीय अन्तरिक्ष प्रक्षेपणयान PSLV - C - 25 से प्रक्षेपित किया | यह भारत का पहला अंतराग्रहीय अभियान है | इसरों सोवियत अन्तरिक्ष कार्यक्रम,नासा एवं यूरोपियन अन्तरिक्ष एजेंसी के बाद अन्तरिक्ष एजेंसी है जिसने मंगल गृह के लिए अपना अंतरिक्षयान भेजा
ब्रहस्पति ( Jupiter) :
- यह सौरमंडल का सबसे बड़ा गृह है | इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा (सबसे कम) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते है |
- इसके उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है | इसका रंग पीला है |
शनि (Saturn) :
- यह आकार में दुसरा सबसे बड़ा गृह है |
- इसकी विशेषता है - इसके तल के चारों ओर वलय का होना (मोटी प्रकाश वाली कुंडली) | वलय की संख्या 7 है | यह आकाश में पीले तारे के सामान दिखाई पड़ता है |
- शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है | यह आकार में बुध के बराबर है | टाइटन की खोज 1665 में डेनमार्क के खगोलशास्त्री किश्चियन हाईजोन ने की है | यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका प्रथ्वी जैसा स्वयं का सघन वायुमंडल है |
- फ़ोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घुमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है |
- इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है | यानी इसे जल में रखने पर तैरने लगेगा |
अरुण (Uranus) :
- यह आकर में तीसरा सबसे बड़ा गृह है इसका तापमान लगभग - 215 डिग्री सेल्सियस है |
- इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी है |
- इसके चारों ओर नौ वलयों में पांच वलयों का नाम अल्फा, बीटा , गामा, डेल्टा एवं इप्स्लान है |
- यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर (दक्षिणावर्त) घूमता है, जबकि एनी गृह पश्चिम से पूर्व को ओर (वामावर्त) घूमते है |
- यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर से एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है |
- इसके सभी उपग्रह भी प्रथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते है |
- यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है की लेटा हुआ सा दिखलाई पड़ता है, इसलिए इसे लेता गृह कहा जाता है |
- इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है |
वरूण (Neptune) :
- इसकी खोज 1846 ई. जर्मन खगोलज्ञ जहाँन गाले ने की है |
- नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित गृह है |
- यह हरे रंग का गृह है | इसके चारों अति शीतल मीथेन का बादल छाया हुआ है |
- इसके उपग्रह में ट्रिटान प्रमुख है |
यम (Pluto):
- IAU ने इसका नया नाम 1,34,340 रखा है |
- इसकी खोज क्लाड टामवो ने 1930 ई. की थी |
- अगस्त 2006 ई. की IAU की प्राग सम्मलेन में गृह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को गृह की श्रेणी से अलग कर बौना गृह की श्रेणी में रखा गया है |
यम को गृह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण -
- आकार में चन्द्रमा से छोटा होना |
- इसकी कक्षा का व्रताकार नहीं होना |
- वरूण की कक्षा को काटना
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