भारतीय संविधान
अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार
Constitution of India
- अनुच्छेद 12 मे राज्य की परिभाषा बताई गई है - केंद्र सरकार, राज्य सरकार इनके अधिकारी, कर्मचारी मण्डल तथा इनके द्वारा वित्त पोषित संस्थान राज्य के अंतर्गत आएंगे ।
- अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों के संशोधन -
- अनुच्छेद 13(2) - के अंतर्गत राज्य कोई भी ऐसी विधि नहीं बनाएगा जो मौलिक अधिकारों को कम करती है ।
- अनुच्छेद 13(4) के अंतर्गत मौलिक अधिकारों में संशोधन का अधिकार केवल संसद को है ।
- अनुच्छेद 14 - के अंतर्गत विधि की समानता का वर्णन किया गया है ।
- अनुच्छेद 15 - के अंतर्गत धर्म, जाति, लिंग की समानता है का वर्णन किया गया है ।
- अपवाद -
- महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते है ।
- पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते है ।
- अनुच्छेद 15(5) - 93 वां संविधान संसोधन - पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षिक संस्थानों में विशेष प्रावधान ( आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है)
- अनुच्छेद 16 लोक नियोजन में समानता - राज्य के अधीन नियोजन मे सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी । धर्म,जाति,लिंग,मूलवंश,जन्म स्थान, निवास स्थान के आधार पर किसी नागरिक के साथ सरकारी नौकरी में भेद भाव नहीं किया जाएगा ।
- अनुच्छेद 16(3) के तहत राज्य किसी विशेष पद हेतु नियोजन मे किसी क्षेत्र विशेष मे अधिकारी के रूप मे घोषित कर सकता है ।
- अनुच्छेद 16(4) के तहत पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते है ।
- अनुच्छेद 16(5) के तहत किसी धर्म से संबन्धित पद को उस धर्म विशेष के अनुयायियों के लिए आरक्षित किए जा सकते है।
- अनुच्छेद 17 छुआछूत का अन्त – यह अनुच्छेद छुआछूत का अन्त करता है और उसका किसी भी रूप मे आचरण निषिध करता है । इसको समाप्त करने के लिए संसद द्वारा अस्प्रश्यता अधिनियम 1955 पारित किया गया है । अधिनियम 1976 मे इसमें मूल भूत परिवर्तन किया गया और इसका नाम नागरिक अधिकार अधिनियम रखा गया । अधिनियम 1989 - SC,ST अत्याचार निवारण अधिनियम रखा गया ।
- अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत - अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत करता है इस सबंध मे निम्न प्रावधान है –
- सेना या विद्या संबंधी सम्मान के अलावा राज्य और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा ।
- भारत का कोई भी नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई भी उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
- यदि कोई विदेशी राज्य के अधीन विश्वास का पद धारण करता है तो वह राष्ट्रपति के सहमति के बिना किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा ।
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